वीडियो जानकारी:<br />हार्दिक उल्लास शिविर, 21.12.19, गोआ, भारत<br /><br />प्रसंग:<br />विविधे: कर्मभिस्तात पुण्ययोगैश्च केवले:।<br />गच्छन्तीह गतिं मर्त्या देवलोके च सांस्थितिम ॥२१॥<br />भावार्थ: मनुष्य नाना प्रकार के शुभ कर्मों का अनुष्ठान करके केवल पुण्य के संयोग से इस लोक में ऊत्तम फल और देवलोक स्थान प्राप्त करते हैं।<br />~उत्तर गीता (अध्याय २, श्लोक २१) <br /><br />~ शुभ और अशुभ कर्म क्या है?<br />~ उत्तम फ़ल और अधम फ़ल का अर्थ क्या है? <br />~ शुभ और अशुभ में क्या अंतर है? <br />~ क्या सिर्फ़ माँस में ही प्रोटीन होता है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते